झारखंड में मईया सम्मान योजना के लाभार्थी महिलाओं के लिए एक बहुत ही खास खबर निकल कर आ रही है। क्योंकि हो सकता है कि यह योजना बंद हो सकती है, जिसके चलते राज्य की लाखों महिलाएं प्रभावित होंगी। क्योंकि इस योजना के तहत झारखंड राज्य की महिलाओं को हर महीने 1 हजार रुपये की सहायता राशि दी जाती थी। क्या वास्तविक में यह योजना बंद होगी, यदि हां तो क्यों, यह जानने के चलिए इस लेख को पूरा पढ़ते हैं।
मईया सम्मान योजना क्या है?
झारखंड सरकार द्वारा राज्य की महिलाओं के आर्थिक उत्थान के लिए मईया सम्मान योजना को शुरू किया गया है। इस योजना को राज्य के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन जी के द्वारा शुरू की गई थी जिसके तहत महिलाओं को हर महीने वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य की महिलाओं के आर्थिक स्थिति को मजबूत करना तथा उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है।
पहले इस योजना का लाभ 21 से 50 साल की महिलाएं उठा सकती थी। लेकिन अब 18 से 20 साल की युवतियां भी इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकेंगी। इस योजना को मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन ने युवा वर्ग के लिए एक अहम कदम बताया। उन्होंने यह भी कहा कि इससे समाज के सभी वर्गों को संजीवनी मिलेगी। हमारे व्हाट्सएप ग्रुप एवं टेलीग्राम चैनल को अवश्य ज्वॉइन करें लिंक नीचे है।
क्यों बंद हो सकती है यह योजना
हाल ही में आई रिपोर्टों के अनुसार, राज्य में आगामी चुनावों में यदि भाजपा की सरकार बनती है तो मईया सम्मान योजना बंद हो सकती है। चुनावी माहौल के इस मेले में हर पार्टियों के द्वारा नई-नई योजनाओं की घोषणा हो रही हैं, जिस कारण मईया सम्मान योजना के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है।
हालांकिमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी के द्वारा छठ पूजा के अवसर पर इस योजना के तहत चौथी किस्त देने का आश्वासन दे दिया गया है, लेकिन चुनाव के पश्चात यदि नई सरकार यदि सरकार बनती है तो यह योजना बंद हो सकती है। क्योंकि इससे पहले भी झारखंड की राजनीति में ऐसे कई उदाहरण रहे हैं, जहाँ नई सरकार बनने के बाद पुरानी योजनाएँ योजनाएं बंद हो गई हैं।
योजना बंद होने का प्रभाव
यदि भविष्य में मईया सम्मान योजना बंद होती है, तो इसका सीधा प्रभाव झारखंड की महिलाओं और युवतियों पर पड़ेगा। क्योंकि बहुत सी महिलाएं इस योजना के तहत मिलने वाली राशि पर निर्भर थीं, क्योंकि यह राशि उनके परिवार के आर्थिक तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थी। अचानक से सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता राशि के न मिलने से उनके जीवन में वापस से कठिनाइयाँ उत्पन्न हो सकती है।
सहायता के अन्य विकल्प
अगर देखा जाए तो इस चुनावी माहौल में हर पार्टीयों की तरफ से विभिन्न प्रकार की योजनाओं की घोषणाएं हो रही है। कुछ दिनों पहले ही भाजपा पार्टी के द्वारा “गोगो दीदी योजना” का ऐलान भी किया गया है, जिसके तहत राज्य की महिलाओं को हर महीने 2100 रुपये की सहायता राशि देने की बात कही गई है।
यदि भाजपा चुनाव में सफल होती है, तो यह योजना लागू हो सकती है। अगर दोबारा झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की सरकार बनती है तो अपनी यह भी नई योजनाओं की घोषणा कर सकती है, और हो सकता है कि पहले से चल रही योजनाओं का भी पुनर्गठन किया जा सकता है।
कब मिलेगी चौथी किस्त
सूत्रों द्वारा दी गई प्राप्त जानकारी के अनुसार महिलाओं को चौथी किस्त की राशि अवश्य मिलेगी, क्योंकि झारखंड सरकार ने इसके लिए फंड जारी कर दिया है। हेमंत सरकार का भरपूर प्रयास है कि छठ पूजा के अवसर पर इस योजना के लाभार्थी महिलाओं को आर्थिक सहायता प्राप्त हो। अब आगामी चुनाव के परिणामों के बाद ही यह सुनिश्चित होगा कि इस योजना की स्थिति क्या होगी, चलती रहेगी या बंद होगी।
सरकार का संकल्प जन्म से मृत्यु तक देंगे लाभ
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मुताबिक राज्य में बेटियों को जन्म से लेकर मृत्यु तक किसी न किसी योजना के फायदे मिलता रहे यही सरकार का लक्ष्य है। इससे पहले झारखंड में सुकन्या योजना, लक्ष्मी लाडली योजना तथा 21 से 50 साल तक की महिलाओं के लिए मईया सम्मान योजना चलाई जा रही थी।
लेकिन राज्य में 18 से 20 वर्ष तक की युवतियों के लिए कोई योजना नहीं थी। लेकिन मंईयां सम्मान योजना शुरू होने के बाद इसमें उम्र सीमा को कम कर दिया गया है, जिससे अब 18 से 20 साल की युवा वर्ग की महिलाओं को भी इस योजना का लाभ आसानी से मिल सकेगा।
योजना की राशि बढ़ेगी
झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के तहत महिलाओं को बड़ी राहत देने के काम किया है। हेमंत सोरेन का कहना है कि इस योजना के तहत अब महिलाओं को दिसंबर महीने से 1000 रुपए की जगह 2500 रूपए दिए जाएंगे।
सीएम सोरेन के इस फैसले को कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दे दी गई है। सूत्रों के अनुसार दिसंबर महीने से इस योजना के सभी लाभार्थी महिलाओं के खाते में 2500 रूपये की राशि ट्रांसफर कर दी जाएगी। दिसंबर महीने से इस योजना के बजट पर करीब 900 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ेगा।
Disclaimer:
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